लेखनी कविता -पंचभूत - काका हाथरसी

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पंचभूत / काका हाथरसी  भाँड़, भतीजा, भानजा, भौजाई, भूपाल  पंचभूत की छूत से, बच व्यापार सम्हाल  बच व्यापार सम्हाल, बड़े नाज़ुक ये नाते  इनको दिया उधार, समझ ले बट्टे खाते ‘काका ...

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